
उड़ीसा सीमा के गांव में दबिश देकर बाघ की खाल के टुकड़े और कई वन्य प्राणी के अवशेष बरामद किया
वन मंडलाधिकारी वरुण जैन की दिशा निर्देशन पर लगातार वन विभाग की बड़ी कार्यवाही हो रही है
5 आरोपियों को पकड़ने में वन विभाग एंटी पोचिंग टीम को मिली सफलता
मैनपुर । उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियानंद मे गठित एन्टी पोचिंग टीम को मुखबिरी के द्वारा सूचना मिली थीं कि छत्तीसगढ़-उड़ीसा बॉर्डर से लगे ग्राम खुडूपानी के बदन मांझी के द्वारा एक बाघ का शिकार किया गया है और उसके खाल को अपने घर पर रखा गया है। वन मंत्री माननीय मोहम्मद अकबर जी छ.ग. शासन के मार्गदर्शन में श्री वरुण जैन, उपनिदेशक उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद के निर्देशानुसार सहायक संचालक उदंती श्री गोपाल कश्यप के नेतृत्व में दिनांक 03.06.2023 को एन्टी पोचिंग टीम उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद एवं वन परिक्षेत्र खरियार उड़ीसा के स्टॉफ के द्वारा संयुक्त रूप से सर्च वारंट जारी कर बदन माझी के घर का तलाशी लिया गया। उनके घर से बाघ का खाल का टुकड़ा और 04 नग जिंदा मयुर का बच्चा एवं वृहद मात्रा मे तार, फंदा, तीर कमान एवं अन्य शिकार करने की सामाग्री बरामद किया गया जिसे जप्त किया गया। बदन सिंग को पूछताछ के लिए वन परिक्षेत्र कार्यालय खरियार (उड़ीसा) ले जाया गया। पूछताछ के दौरान बदन सिंग का कथन अनुसार दिनांक 04/06/2023 को ग्राम चिखलघुवा का खगेश्वर मांझी, ग्राम पाउदरहा, विघाघर माझी बलमाझी, सचिन मांझी अच्युतानंद गांझी, ग्राम भालुडोंगरी के घर का भी तलाशी लिया गया जिसमे वन्यप्राणी के अवशेष तेंदुआ नाखुन तेंदुआ मांस खुला (सूखा), तेंदुआ का पंजा, भालु का गुप्तांग, भालु का पंजा, साही मुर्गी का अतदी, मोर पंख, कोटरी मांस खुला (सूखा), भरमार बंदुक तीर कमान, जाली सभी सामाग्री को जप्त किया गया। जिसमे संलिप्त 05 आरोपी नाम (1) बदन मांझी पिता हेमलाल मांझी, उम्र 45 वर्ष, ग्राम खापानी (2) सचिन मांझी पिता शुम मांझी, उम्र 36 वर्ष, ग्राम- – पाठदरहा. (3) बड़ा मांझी पिता मोहन गांझी, उम्र 61 वर्ष, ग्राम पाठदरहा ( 4 ) अव्युतानंद माझी पिता अनुर मांझी, उम्र 23 वर्ष, ग्राम भालुडोंगरी (5) खगेश्वर मांझी पिता राजमत मांझी, उम्र 62 वर्ष, ग्राम- चिखलाचुवा, जिला नुवापाडा (उड़ीसा) को खरियार न्यायालय में पेश किया गया एवं अन्य 01 आरोपी विधाघर माझी पिता बडामाझी उम्र 31 वर्ष ग्राम पाठदरहा, थाना– बोडेन, जिला – नुवापाडा (उड़ीसा) को डिटेन कर उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व एन्टी पोचिंग टीम को दिनांक 05/06/2023 को सुपूर्द किया गया। विधाघर माझी को वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट के कुकरार बीट से लगे उड़ीसा वनक्षेत्र सुनाधस जलप्रपात के पास घटना स्थल का शिनाख्त करने के लिए ले गये जहां अपराधी द्वारा खाल के छुपे होने की जगह बताई गयी। दिनांक 06/06/2023 को विद्याधर द्वारा अन्य शिकारियों के नाम भी बताये गये जिनकी पतासाजी की जा रही है।
बदन सिंह मांझी के घर से बरामद बाघ की खाल एवं नाखून दांत को Will देहरादून भेजा जाएगा।
ताकि उसके डी.एन.ए. का मिलान उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व से विगत डेढ़ वर्षों में भेजे गए बाघ के 05 मल सेम्पल के डी.एन.ए. से मैच किया जा सके। सुनावेडा अभ्यारण्य एवं खरियार वनमंडल के द्वारा कोई भी गल सेम्पल / ट्रैप कैमरा फोटो विगत वर्षों में WII देहरादून को नहीं भेजे गये हैं। बाघ की Identity स्थापित करने का एक मात्र स्रोत उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद द्वारा पूर्व मे भेजे गये मल सेम्पल ही है। उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व का दूसरा नर बाघ ( जिसकी 3 फोटो ट्रैप कैमरा में 31 अक्टूबर, 2022 में कैद हुयी थी) अभी देब्रिगढ़ अभ्यारण्य में विचरण करते पाया गया है जिससे पता चलता है की जिस बाघ का शिकार हुआ है वो कोई और है।
प्रारंभिक जांच में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि जिस बाघ की खाल बरामद हुई है, उसे बदन सिंग गाझी द्वारा सड़ी गली अवस्था में खाडुपानी (उड़ीसा) के जंगल में 2 माह पूर्व पाया गया है। जिसके कई टुकड़े कर शिकारियों ने आपस में बांट लिये। गिरफ्तार शिकारी से 06 अन्य लोगो का नाम भी सामने आया है जो कि बाघ तेन्दुआ एवं वन्यप्राणियों की शिकार में शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपी अच्युतानंद मांझी के मोबाईल से कोटरी, जंगली सुअर का शिकार कर कंधे मे ढोकर लाते हुए अन्य आरोपी की सेल्फी/फोटो भी मिली है। जिसके आधार पर उनको गिरफ्तार करने की कार्यवाही की जा रही है। डिटेन कर लाये गये विधाघर मांझी को दिनांक 06/06/2023 को वन परिक्षेत्र कार्यालय खरियार भेजा गया है ताकि ओडिशा वन विभाग उसको भी अन्य 5 अभियुक्तों की भांति बोडेन कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर सके ।
इस कार्यवाही मे एन्टी पोचिंग की टीम के नोडल अधिकारी श्री गोपाल कश्यप सहायक संचालक उदती (मैनपुर) एवं श्री चन्द्रबली ध्रुव, भावसिंग देवागंन परिक्षेत्र अधिकारी राकेश मार्कडेय, राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा, चुरामन घृतलहरे, फलेश्वर दीवान, भुपेन्द्र मेडिया, टकेश्वर देवांगन, गुजा घुब, सुधांशु वर्मा, मनोज ध्रुव, पुनीत एवं वन परिक्षेत्र खरियार (उड़ीसा) का स्टॉफ का विशेष योगदान रहा।